प्रश्न 1. राष्ट्रवाद क्या है?

उत्तर -राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है, जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वालों के बीच एकता की भावना का वाहक बनती है।

प्रश्न 2. मेजिनी कौन था ?

उत्तर-मेजिनी मुख्यतः एक साहित्यकार था, लेकिन उसे राजनीति से भी प्रेम था। वह कुछ दिनों तक एक क्रांतिकारी और गुप्त संगठन कार्बोनरी से जुड़ा रहा था। लेकिन वह गणतंत्र में विश्वास रखता था।

प्रश्न 3. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थीं?

उत्तर— जर्मनी के एकीकरण की अनेक बाधाएँ थीं। वह लगभग 300 छोटे-बड़े राज्यों में बँटा हुआ था। इन सभी राज्यों के प्रमुखों की अपनी-अपनी सोच थी। धार्मिक और जातीय रूप से भी वे एक नहीं थे ।

प्रश्न 4. मेटरनखि युग क्या है?

उत्तर- मेटरनिख पुरातन व्यवस्था का समर्थक था। नेपोलियन द्वारा स्थापित एकता उसे पसंद नहीं थी । इटली पर अपना प्रभाव जमाने के लिए उसने उसे कई राज्यों में विभाजित कर दिया। इसी युग को मेटरनिख युग कहते हैं।

प्रश्न 1. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे?

 उत्तर-फ्रांस का शासक लुई फिलिप उदारवादी था, लेकिन वह महत्वाकांक्षी था। उसने 1840 में गीजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। गीजो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। राज्य में वह किसी भी सुधार को लागू करने के पक्ष में नहीं था। राजा लुई फिलिप भी अमीरों का साथ पसन्द करता था। उसके पास कोई सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था। देश में भूखमरी और बेरोजगारी चरम पर थी। फलतः सुधारवादी क्षुब्ध रहने लगे। 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के ये ही सब कारण थे।

प्रश्न 2. इटली और जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया की क्या भूमिका थी?

उत्तर : इटली का एकीकरण- आस्ट्रिया और पिडमाउण्ट में सीमा को लेकर विवाद था। इस कारण आस्ट्रिया और इटली में युद्ध शुरू हो गया। युद्ध 1859 में आरम्भ हुआ और 1860 तक चला। युद्ध में इटली के समर्थन में फ्रांस ने अपनी सेना उतार दी । आस्ट्रियाई सेना बुरी तरह परास्त हुई। फलतः ऑस्ट्रिया के एक बड़े राज्य लोम्बार्डी पर पिडमाउण्ट का अधिकार हो जाने से इटली एक बड़े राज्य के रूप में सामने आ खड़ा हुआ। काबूर मध्य तथा उत्तरी इटली को इटली में मिलाना चाहता था । इतना ही नहीं, रोम को छोड़ सम्पूर्ण इटली के एकीकरण में काबूर को सफलता मिल गई। आस्ट्रिया को चुप बैठ जाना पड़ा।

जर्मनी का एकीकरण-1806 में नेपोलियन बोनापार्ट ने जर्मन क्षेत्रों को जीतकर राईन राज्य संघ का गठन किया। इसी के बाद जर्मनवासियों में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ने लगी। लेकिन दक्षिण जर्मनी के लोग एकीकरण के विरोध में थे। जर्मनी में विद्रोह की स्थिति पैदा होने लगी, जिसे आस्ट्रिया और प्रशा ने मिलकर दबा दिया। प्रशा जर्मनीका एकीकरण अपने नेतृत्व में करना चाहता था, जिसके लिए वह अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने लगा। सैन्य शक्ति तथा कूटनीति के चलते जर्मनी के एकीकरण में वह सफल हो गया तथा बिस्मार्क को जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया। इस प्रकार इस एकीकरण में भी आस्ट्रिया ही मूल में था ।

प्रश्न 3. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ ? 

उत्तर- नेपोलियन बोनापार्ट ने जो जर्मनी और इटली में राष्ट्रीयता की स्थापना में मदद पहुँचाई, बल्कि सम्पूर्ण यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता को लेकर उथल-पुथल आरम्भ हो गया। इस राष्ट्रीयता के मूल में राष्ट्रीयता की भावना के साथ ही लोकतांत्रिक विचारों का भी उदय हुआ। हंगरी, बोहेनिया तथा यूनान में स्वतंत्रता आन्दोलन इसी राष्ट्रवाद का परिणाम था। इसी आन्दोलन के प्रभाव के कारण उस्मानिया साम्राज्य का पतन हो गया और वह तुर्की तक में ही सिमट कर रह गया। राष्ट्रवाद के कारण ही बालकन क्षेत्र के स्लाव जाति को संगठित होने का मौका मिला और सर्बिया नामक नये देश का जन्म हुआ।

प्रश्न 4. 'गैरबाल्डी' के कार्यों की चर्चा करें।

 उत्तर- गैरबाल्डी सशस्त्र क्रांति का समर्थक था। वह इटली के रियासतों का एकीकृतकरके इटली में गणतंत्र की स्थापना करना चाहता था। वह मैजिनी के विचारों को मानता था, किन्तु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का समर्थक बन गया । उसने अपने लोगों को मिलाकर एक सेना का गठन किया और सेना के बल पर इटली के प्रांतों सिसली तथा नेपल्स पर अधिकार जमा लिया। उसने विक्टर एमैनुअल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ की सत्ता सम्भाल ली। वह रोम पर आक्रमण करना चाहता था लेकिन काबूर के कहने से उसने यह योजना त्याग दी। उसने बहुत कुछ किया किन्तु कहीं का शासक बनने से इंकार कर दिया। इस त्याग से विश्व भर में उसकी प्रशंसा हुई।

प्रश्न 5. "विलियम I के बेगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असम्भव था ।" कैसे ?

उत्तर - विलियम I, जिसे फ्रेडरिक विलियम भी कहा जाता है, बिस्मार्क के लिए बड़े ही महत्त्व का था। 1848 को पुरानी संसद को फ्रैंकफर्ट में बुलाया गया। वहाँ यह निर्णय लिया गया कि फ्रेडरिक विलियम जर्मन राष्ट्र का नेतृत्व करेगा और उसी के नेतृत्व में समस्त जर्मन राज्यों को एकीकृत किया जाएगा। लेकिन विलियम ने इसको मानने से इंकार कर दिया। जब बिस्मार्क को जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया गया तो देश की एकता और शांति स्थापित करने से वह विलियम को आवश्यक मानने लगा। क्योंकि फ्रैंकफर्ट के निर्णय को वह भूला नहीं था ।