प्रश्न 3. समझाइए के भौमजल की पुनःपूर्ति किस प्रकार होती है? 

उत्तर- भौमजल की पुन:पूर्ति वर्षाजल के स्रवण द्वारा हो जाती है। वर्षा के अलावा कोई भी अन्य साधन नहीं है, जिससे भौमजल की पुन: पूर्ति हो सके। वर्षा का जल जमीन की दरारों से होकर भूमि के अन्दर एकत्र हो जाता है।

प्रश्न 4. भौमजल स्तर के नीचे गिरने के लिए उत्तरदायी कारकों को समझाइए ।

उत्तर—भौमजल स्तर को नीचे गिरने के उत्तरदायी कारक हैं उद्योगों का बढ़ना । रासायनिक उर्वरकों के अधिक उपयोग के कारण भी अधिक सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। जनसंख्या की वृद्धि से भी जल का उपयोग बढ़ा है। सेप्टिक शौचालय से भी जल की खपत बढ़ी है। पहले जहाँ एक लोटा जल से ही व्यक्ति शौच से निपट लेता था, वहीं सेप्टिक शौचालय में प्रति व्यक्ति कम-से-कम एक बड़ी बाल्टी जल की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार के जल की खपत की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता ।

प्रश्न 5. कम-से-कम जल का उपयोग करते हुए बगीचे लगाने तथा रख- रखाव के लिए आप क्या कदम उठाएँगे ?

उत्तर- किसी बगीचे का रखरखाव हेतु बड़ी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है। इसके लिए प्राय: भौमजल का उपयोग किया जाता है। वर्षा के रूप में जो जल हमें प्राप्त होता है, मेंढ़ बनाकर पानी को रोका जा सकता है। अपने बगीचे में जल को उपयोग मितव्ययिता से करेंगे। यदि बहुत-बहुत वर्षों तक वर्षा न हो तो हम भौम-जल का उपयोग करेंगे। लेकिन उस तरह नहीं, जिस तरह गेहूं के खेत या चाय के बागानों में करते हैं। चूँकि बगीचे में पेड़ दूर-दूर रहते हैं अतः घड़े में पानी भर कर हर पेड़ की जड़ के पास उसे गिराएँगे। पेड़ के चारों और मेंड़ बना देंगे ताकि जल बर्बाद न हो । इस प्रकार हम भौमजल का सदुपयोग करेंगे। ध्यान रहे कि पेड़-पौधे भी भौम-जल को नीचे जाने से रोकते हैं।

प्रश्न 6. ऐसे सात उत्पादों के नाम बताएँ जो हम वनों से प्राप्त करते हैं।

उत्तर-वनी से प्राप्त होने वाले उत्पाद निम्नलिखित है (i) गीद, (ii) लाह, (iii) मधु, (iv) औषधीय जड़ी-बूटियाँ, (v) रेशम के कीड़े, (vi) पत्तल बनाने के लिए पत्ते, (vii) कागज बनाने के लिए वृक्ष और बाँस, (viii) धूप, (ix) चंदन तथा (x) मसाले । (किन्ही सात को ही लिखें।)

प्रश्न 7. वनों में कुछ भी व्यर्थ नहीं होता है, क्यों? समझाइये।

उत्तर- ह्यूमस की उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि मृत पादपों और जन्तुओं के पोषक तत्त्व मृदा में निर्मुक्त होते रहते है। वहाँ से ये पोषक तत्व पुनः सजीव पादपों के मूलों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते है। मूत जंतु, गिद्धों, कौआ, गीदड़ो और कीटो का भोजन बन जाते है। इस प्रकार पोषक तत्त्वों का चक्र चलता रहा है, जिससे वन में कुछ भी व्यर्थ नहीं होता है।

प्रश्न 8. अपघटक किसे कहते हैं? ये वन एवं जीवों की वृद्धि में किस प्रकार सहायक हैं? 

उत्तर- पादपों और जतुओं के मृत शरीर को ह्यूमस में परिवर्तित करनेवाले सूक्ष्मजीव अपघटक कहलाते है। जीवाणु कवक तथा फफूँदी ये दो अपघटक के नाम हो सकते हैं। वनों में ये मृत पादपों और जंतुओं के पोषक तत्त्व मृदा में निर्मुक्त करते रहते हैं। इसके बाद पोषक तत्त्व पुनः संजीव पादपों के मूली द्वारा अवशोषित कर लिए जाते। वन में कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता है। मृत जंतु, गिद्धों, कौओ, गोदड़ों और कीटों का भोजन बन जाते है और इस प्रकार वनों में पोषक तत्वों का चक्र चलता रहता है।

प्रश्न 9. ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखने में वनों के योगदान को समझाइए ।

उत्तर—पादप प्रकाशसंश्लेषण के प्रक्रम द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते है और ऑक्सीजन निर्मुक्त करते हैं। इस प्रकार वे वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के संतुलन को बनाए रखने में वे अपना योगदान देते है।


प्रश्न 10. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(क) कीट, मधुमक्खियों और पक्षी, पुष्पी पादपों की............................. मे सहायता करते है।

(ख) वन शुद्ध करते है ..................और..................... को।

(ग) वन में क्षयमान पत्नियाँ और जंतु ..........को समृद्ध करते हैं। 

(घ) सूक्ष्मजीवां द्वारा मृत पादपों पर क्रिया से............. बनता है। 

उत्तर- (क) परागण, (ख) जल, हवा, (ग) पोषक तत्त्व (घ) ह्यूमस